किछु दिन सं,वर्धा स्थित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में जनसंचार विभाग में नियुक्ति के ल कए घमासान मचल छैक। विवादित निर्णय सं प्रभावित अनिल चमड़िया देया आजुक दैनिक भास्कर केर दिल्ली संस्करण में प्रकाशित रिपोर्ट देखूः
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विवि के जनसंचार विभाग में नियुक्तियों व उनकी वैधता को लेकर मचे बवाल के बाद अब विवि व उसकी कार्यकारी परिषद् के फैसले पर ही सवाल उठने शुरू हो गए है। विवि की कार्यकारी परिषद् ने सात अध्यापक सदस्यों की गैरमौजूदगी के बावजूद न सिर्फ बैठक बुलाई बल्कि उसमें शिक्षकों की नियुक्ति पर फैसला भी किया। एग्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) के फैसले का शिकार हुए शिक्षक अनिल चमड़िया का कहना है कि आप ही बताएं जब कोई काउंसिल पूरी ही नहीं है तो वह किसी तरह का निर्णय कैसे कर सकती है। उन्होंने आरोप लगाया कि आठ जनवरी को गठित ईसी के आठ सदस्यों ने सात अध्यापक सदस्यों की नियुक्ति से पहले ही न सिर्फ बैठक बुलाई बल्कि उसमें एक दो नहीं बल्कि बारह शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर चर्चा की। अनिल चमड़िया ने बताया कि इस बैठक में जहां ग्यारह शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया व उनकी योग्यता को हरी झंड़ी दिखाई, वहीं उनकी योग्यता पर सवाल खड़ा करते हुए उसे रद्द कर दिया। ईसी के इस फैसले पर विश्वविद्यालय प्रशासन की सफाई है कि उनसे नियुक्ति के दौरान गलती हुई जिसे ईसी ने सुधार है और इसपर किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए।
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