डीपीसी केर बैठक देर सं भेलाक कारणे पद खाली रहि जएबाक स्थिति पर आजुक दैनिक भास्कर,दिल्ली संस्करण में पंकज कुमार पांडेय केर रिपोर्ट देखूः
केंद्र में जो महकमा खाली पड़े पदों का वक्त पर ब्योरा नहीं देगा उसके सचिव को इसका खामियाजा भुगतना होगा। कैबिनेट सचिव की ओर से जारी एक फरमान में कहा गया है कि नियुक्ति संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक के 75 से 120 दिन पहले यह ब्योरा हर हाल में मिल जाना चाहिए। कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर की ओर से भेजे गए सख्त निर्देश में इसके लिए बाकायदा मंत्रालय में एक संयुक्त सचिव को जिम्मेदारी देने को कहा गया है। कैबिनेट सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि जिस विभाग ने इसमें टालमटोल की, उसके सचिव को देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। उसकी पीएआर रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज की जाएगी। ताजा फरमान के बाद विभिन्न विभागों में खाली अहम पदों की जानकारी इकट्ठी की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, 27 जनवरी को भेजे पत्र में कहा गया है कि कई विभाग ऐसे हैं जो अपनी चयन समिति की बैठक और विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठकें अंतिम समय में करते हैं। इससे खाली पद समय से नहीं भरे जाते हैं।नियुक्तियों के लिए बनी कैबिनेट कमेटी ऑन अप्वाइंटमेंट वैकेंसी मॉनीटरिंग सिस्टम को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक स्तर पर स्वीकृति के इंतजार में कई विभागों में नियुक्तियों के मामले को आगे नहीं बढ़ाया जाता है।
केंद्र में जो महकमा खाली पड़े पदों का वक्त पर ब्योरा नहीं देगा उसके सचिव को इसका खामियाजा भुगतना होगा। कैबिनेट सचिव की ओर से जारी एक फरमान में कहा गया है कि नियुक्ति संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक के 75 से 120 दिन पहले यह ब्योरा हर हाल में मिल जाना चाहिए। कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर की ओर से भेजे गए सख्त निर्देश में इसके लिए बाकायदा मंत्रालय में एक संयुक्त सचिव को जिम्मेदारी देने को कहा गया है। कैबिनेट सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि जिस विभाग ने इसमें टालमटोल की, उसके सचिव को देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। उसकी पीएआर रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज की जाएगी। ताजा फरमान के बाद विभिन्न विभागों में खाली अहम पदों की जानकारी इकट्ठी की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, 27 जनवरी को भेजे पत्र में कहा गया है कि कई विभाग ऐसे हैं जो अपनी चयन समिति की बैठक और विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठकें अंतिम समय में करते हैं। इससे खाली पद समय से नहीं भरे जाते हैं।नियुक्तियों के लिए बनी कैबिनेट कमेटी ऑन अप्वाइंटमेंट वैकेंसी मॉनीटरिंग सिस्टम को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक स्तर पर स्वीकृति के इंतजार में कई विभागों में नियुक्तियों के मामले को आगे नहीं बढ़ाया जाता है।
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