बुझाइत छल जे सेवानिवृत्तिक दिन सबटा बकाया एकहि संग भुगतान करबाक सरकारी आदेशक बाद, दरमाहा नहिं भेटबाक लेल हकन कनैत प्रोफेसर लोकनि बाकी जीवन निश्चिन्त भाव सं बितेनाई पसंद करताह।मुदा नहिं। ओ सब आप तीन बरख धरि आओर नौकरी करबा लेल जिद धएने छथि। आखिर,देर-सवेर पाई त भेटिए जाइत छैक ने!
08 दिसम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित
No comments:
Post a Comment