प्रोफेसरी आब खानदानी पेशा बनल जा रहल छैक। ई एक सामान्य अनुभव छैक जे प्रोफेसर सभहक सुपुत्रलोकनि शिक्षे लाईन में छथि। ई नहिं छैक जे जं पिता प्रोफेसर भ गेलाह त पुत्र के प्रोफेसर हेबाक अधिकार नहिं छैक। छैक,मुदा प्रोफेसर सभहक कम योग्यताधारी बालकलोकनि प्रोफेसर भ जाईत छथि आ बेसी पढनिहार सभ टउआईते रहि जाइत छथि। जं अहां प्रोफेसर के पीएचडीधारी बालक छी,तं निश्चिन्त रहू जे बड़का-बड़का नेट बला सभ मुंह तकैत रहि जेताह । ई पतिआएब मोसकिल छैक जे ई संयोग मात्र छैक। ईहो उल्लेखनीय जे ई बीमारी मैथिलीए टा में नहिं छैक। अझुका दैनिक भास्कर में जे खबरि प्रकाशित भेल छैक,तहि में कहल गेल छैक जे दिल्लीयो विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में इएह सभ भ रहल छैक। प्रोफेसर बनबाक अछि,तं पहिने मुंह देखाऊ,तखन भेटत मुंगबा। दिल्ली विश्वविद्यालय में यूजीसी आ नियुक्ति नियम कें दरकिनार करैत,ब्रैस्पतियो कए लगातार दोसर दिन, साक्षात्कार जारी रहल। विभाग प्रमुख प्रो. सुधीश पचौरी अखबार सं बातचीत करबा लेल समय नहिं निकालि सकलाह। बजताह की । ब्रैस्पति कए,विजिटर नॉमनी प्रोफेसर नामवर सिंह इंटरव्यू में नहिं छलाह,मुदा साक्षात्कार लेल गेलैक। अख़बार अपन सूत्रक संदर्भ सं लिखैत अछि जे नामवर सिंह, महज एहि कारणें चयन प्रक्रिया सं हटि गेलाह,जे अभ्यर्थीलोकनि में केओ हुनकर परिचित रहथि। ओकर चयन भेला पर पक्षपातक आरोप नामवर जी पर नहिं लगनि,तें । अख़बार कें कहब छैक जे हिन्दी आकादमी में उच्च पदस्थ आ व्यंग्यकार(संकेत अशोक चक्रधर दिसि बूझि पड़ैछ) के एकटा देयादबाद साक्षात्कार प्रक्रिया में अपन दाबी ठोंकि रहल छथि। ओहि अभ्यर्थी के साक्षात्कार महज औपचारिकता मानल जा रहल छैक। अख़बार इहो सूचना जुटेने अछि जे 3 प्रोफेसर, 11 रीडर आ 11 लेक्चरर केर पद पर के चुनल जएता,से पहिले सं तय छैक। एहि पूरा मकड़जाली पर कुलपति प्रो. दीपक पेंटल मौनीबाबा बनल छथि किएक तं हुनका विभागीयलोकनि सं,सेमेस्टर प्रणाली लेल समर्थन चाही जहि ल कए बड्ड हो-हल्ला मचल छैक। मज़ेदार गप्प इहो जे हिन्दी के नियुक्ति लेल मुंबई आ कोच्चि सं "एक्सपर्ट्स" बजाओल गेल छथि। सुधारवादी कपिलजी के बैट-बॉल कतए छनि?
(दैनिक भास्कर,दिल्ली में 01.01.2010 कए प्रकाशित खबरि पर आधारित)
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