* * * पटना के पैरा-मेडिकल संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च जयपुर कें निम्स यूनिवर्सिटी द्वारा अधिकृत कएल गेल। *

Saturday, 16 January 2010

पांचम के आधा बच्चा दोसर क्लास लायक। बिहार में 40 प्रतिशत बच्चा रजिस्टर में हाज़िर,स्कूल सं गायब


(हिंदुस्तान,पटना,16.1.10)
आजुक दैनिक भास्कर,दिल्ली में पंकज कुमार पांडेय केर रिपोर्टः-
स्कूलों के रजिस्टर में दाखिला दर कछुए की रफ्तार से जरूर बढ़ रही है। दाखिले के अनुपात में बच्चे स्कूलों में नजर नहीं आते और जो आते हैं उनमें से आधे की पढ़ने-लिखने की क्षमता निराश करने वाली है। गांव के स्कूलों पर आधारित स्कूली शिक्षा की रिपोर्ट असर-2009 के मुताबिक देश के ग्रामीण स्कूलों में अभी भी 50 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो अपेक्षित स्तर से तीन कक्षा नीचे के स्तर पर हैं।
यानी कक्षा पांच में पढ़ने वाले आधे बच्चों की लिखने-पढ़ने की क्षमता कक्षा दो के बराबर है। हालांकि पिछले एक साल में छह से चौदह साल के बच्चों का गांव के स्कूलों में दाखिले में 95.7 प्रतिशत से मामूली बढ़कर 96 प्रतिशत हो गया है। गणित के मामले में स्थिति चिंताजनक है, महज 36 प्रतिशत बच्चे ही स्कूलों में गुणा-भाग हल कर पाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक एक-चौथाई बच्चे कक्षाओं से अनुपस्थिति रहते हैं। रजिस्टर में नाम, स्कूल से गायब : मध्य प्रदेश में बच्चों की अनुपस्थिति दर 30 फीसदी, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में 40 प्रतिशत के करीब पाई गई। अनुपस्थिति दर देखकर स्कूलों के रजिस्टर में दर्ज दाखिले पर भी सवाल उठाए गए हैं। हालांकि पढ़ाई में मध्यप्रदेश, हिमाचल और महाराष्ट्र के बच्चे आगे हैं। यहां के 70 फीसदी पांचवीं के बच्चे दूसरी कक्षा की किताबें धारा प्रवाह पढ़ लेते हैं।

यह है तस्वीर : ग्रामीण बच्चों पर हुए सर्वे के मुताबिक 6 से 14 साल के 96 प्रतिशत बच्चों के नाम स्कूलों में दर्ज। इनमें 73 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में, 21.8 प्रतिशत निजी विद्यालयों में। ग्रामीण भारत में किसी भी दिन बच्चों की औसत उपस्थिति दर 75 प्रतिशत के आसपास है। मध्य प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल में 30 प्रतिशत से अधिक बच्चे अुनपस्थित। बिहार और यूपी में दाखिला दर 95 प्रतिशत है लेकिन सर्वे के समय 40 फीसदी बच्चे अनुपस्थित थे। हालांकि केरल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु और नगालैंड में 90 फीसदी से ज्यादा बच्चे उपस्थित होते हैं।
वर्ष 2007 से वर्ष 2009 की अवधि में गणित के मामले में स्थिति चिंताजनक हुई है। सरकारी स्कूलों में गुणा-भाग हल करने के मामले में 41 प्रतिशत से 36 प्रतिशत की गिरावट आई है। पठन और गणित क्षमता में मामूली सुधार, अक्षर ज्ञान में पारंगत कक्षा एक के बच्चों का प्रतिशत 2008 में 65.1 फीसदी से बढ़कर 2009 में 68.8 प्रतिशत हो गया है। बच्चे जो एक से नौ तक अंक जानते हैं उनकी संख्या एक साल में 65.3 से बढ़कर 69.3 फीसदी हुई है।
बढ़ी ट्यूशन की आदत : रिपोर्ट बताती है कि स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देने की लाख कोशिशों के बावजूद प्राइवेट ट्यूशन लेने की प्रवृत्ति बढ़ी है। रिपोर्ट जारी होने के अवसर पर मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने वीडियो के जरिए भेजे संदेश में कहा कि बच्चों को स्कूलों में दाखिला तो दिया जा रहा है लेकिन बच्चों का शैक्षणिक स्तर अभी भी नीचे है।

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