* * * पटना के पैरा-मेडिकल संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च जयपुर कें निम्स यूनिवर्सिटी द्वारा अधिकृत कएल गेल। *

Tuesday 20 April, 2010

क्रिकेट मे करियर

आब खेलियो-कूदि कए नवाब बनब सर्वथा संभव अछि। क्रिकेट के आई जे जुनून छैक,जतेक पैसा एहि मे बरसि रहल छैक,तकरा देखिकए के नहि एहि मे करियर बनएबाक सोचत। खासबात ई जे आब क्रिकेट पर कोनो शहर विशेषक अधिकार नहि रहि गेलैक। के सोचने छल जे कहियो रांची के केओ खिलाड़ी देश के क्रिकेट टीमक नेतृत्व करत। तें,जं अहां क्रिकेट मे करियर बनएबाक सोचि रहल छी,तं नवभारत टाइम्स मे,18 अप्रील कए बहराएल ई आलेख अहींक लेल अछिः

आईपीएल की हर बाउंड्री पर खुश होते वक्त उन बच्चों पर ध्यान नहीं जाता। वे बच्चे,जो रस्सियों के किनारे घूमते रहते हैं। रस्सियां,यानी बाउंड्री जिसके पार बॉल जाने पर हम उछलते हैं। वे बच्चे नहीं उछलते। बॉल की तरफ दौड़ पड़ते हैं,लपकने के लिए। बॉल को बाउंड्री के अंदर धकेलकर वे खुद वहीं रुक जाते हैं,रस्सियों के इस तरफ। जानते हैं,बॉल लपकते उन बच्चों की आंखों में क्या होता है? एक ख्वाब। उन रस्सियों को पार कर लेने का ख्वाब... उस पिच पर पहुंच जाने का ख्वाब... एक बार बल्ला थाम लेने का ख्वाब... उस बॉल को फेंक लेने का ख्वाब... क्रिकेटर बन जाने का ख्वाब। इसी ख्वाब को हकीकत में बदलने के तरीके बता रहे हैं खालिद अमीन और विवेक कुमार :

शुरुआत करने की सही उम्र
कोच संजय भारद्वाज के मुताबिक , क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने की शुरुआत किसी बच्चे को विधिवत रूप से 8 साल की उम्र में करनी चाहिए। हां , इससे पहले भी वह खेलना शुरू कर सकता है , लेकिन प्रफेशनली नहीं। दरअसल , सही तरीका यह है कि 8 साल की उम्र में बच्चा अकैडमी जॉइन करे। अकैडमी में 2-3 साल अपने आपको मांझने के बाद ही वह प्रफेशनल क्रिकेट खेलने लायक बनता है। इसके बाद 10-11 साल की उम्र में बच्चे में वह समझ पैदा हो जाती है , जो क्रिकेट के सबक सीखने के लिए जरूरी है।

अकैडमी का चयन
क्रिकेटर बनने का रास्ता ज्यादा लंबा नहीं है , लेकिन मुश्किल है। इसमें मेहनत है , लगन है , जुनून की हद तक खेल में खो जाने की जरूरत है। इसकी शुरुआत होती है अकैडमी जाने से। बच्चा 8 साल के आसपास हो जाए तो उसके लिए सही अकैडमी चुननी चाहिए। क्रिकेट कोच राजकुमार शर्मा बताते हैं कि अकैडमी चुनते वक्त देखें कि उसके रिजल्ट्स कैसे रहे हैं ? वहां के कोच कौन-कौन हैं ? उनका बैकग्राउंड क्या है ? अकैडमी के साथ अपना कोई क्लब है या नहीं ? अगर क्लब है , तो दिल्ली ऐंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन (डीडीसीए) से एफिलिएटेड है या नहीं ? दिल्ली में बहुत सी अकैडमी ऐसी भी हैं , जहां क्रिकेट सिखाने के नाम पर दुकानें चलाई जा रही हैं। उनसे सावधान रहना जरूरी है।

एक बार बच्चे ने अच्छी अकैडमी में अच्छे कोच से क्रिकेट के गुर सीखने शुरू कर दिए , बस समझिए गाड़ी स्टेशन से निकल गई। अब वह कामयाबी के किस-किस स्टेशन से गुजरेगी और कितनी दूर तक जाएगी , यह सब निर्भर करेगा बच्चे की मेहनत , लगन और मां-बाप से मिलनेवाली सपोर्ट पर।

घरेलू टूर्नामेंट्स
अकैडमी के बाद आगे जाने के लिए बच्चे के पास कई रास्ते होते हैं। उसका मकसद पहले डीडीसीए और फिर बीसीसीआई के घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट्स खेलना होना चाहिए। इसके लिए तमाम लेवल पर लगातार सिलेक्शन ट्रायल्स होते रहते हैं।

ऐसा पहला बड़ा मौका दिल्ली की अंडर- 15 टीम के लिए चुना जाना होगा। इसके लिए दिल्ली में डीडीसीए से एफिलिएटेड जो क्लब या अकैडमी हैं , उनके बीच टूर्नामेंट्स कराए जाते हैं। उनमें सिलेक्शन पैनल एक स्टैंडर्ड तय कर देता है यानी खिलाड़ी अगर इतने रन बनाएंगे या इतने विकेट लेंगे तभी उन्हें ट्रायल्स के लिए बुलाया जाएगा। टूर्नामेंट्स में वही क्लब हिस्सा लेते हैं जो डीडीसीए से एफिलिएटेड हैं इसलिए अकैडमी चुनते वक्त इस एफिलिएशन का ध्यान रखें।

बच्चा यहां परफॉर्म करे और स्टेट की अंडर- 15 टीम में चुना जाए। अगर यहां सिलेक्शन हो जाता है , तो उसे स्कूल लेवल के नैशनल टूर्नामेंट और दूसरे नैशनल टूर्नामेंट खेलने का मौका मिलेगा।

अगर अंडर- 15 में सिलेक्शन नहीं भी हो पाता है , तो निराश होने की जरूरत नहीं है। कोच तारक सिन्हा कहते हैं कि मौकों की कमी नहीं है। अंडर- 17 है , अंडर- 19 और अंडर- 22 भी हैं। ऐसा नहीं है कि जो बच्चा अंडर- 14 टीम में नहीं चुना गया , उसे बाकी टूर्नामेंट्स में सिलेक्शन का मौका नहीं मिलेगा। दरअसल , हर चैंपियनशिप के लिए लगातार ट्रायल्स होते रहते हैं। तो जब भी जिस भी ट्रायल में मौका लगे , सिलेक्शन की सीढ़ी पकड़ लो।

ये टूर्नामेंट्स नैशनल टीम तक पहुंचने के लिए एक सीढ़ी हैं। इन्हीं टूर्नामेंट्स में परफॉर्म करते-करते खिलाड़ी का सिलेक्शन नैशनल लेवल की टीम्स जैसे रणजी , इंडिया अंडर- 19, इंडिया ए और सीनियर टीम के लिए होता है। बस जरूरत है लगातार परफॉर्म करते रहने की।

जो लड़ा , वही जीता
अंडर-14 या अंडर-16 में सिलेक्ट न होने पर बच्चों का धीरज टूट जाता है और वे खेलना छोड़ देते हैं। यह सही नहीं है। बस खेलते रहना है। परफॉर्म करते रहना है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई बच्चा परफॉर्म कर रहा है और उसे चांस न मिले। इससे जुड़ी कुछ मिसालें नीचे दी जा रही हैं :

रणजी खेल चुके राजकुमार शर्मा का जूनियर लेवल पर सिलेक्शन नहीं हुआ था , लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खेलते रहे। एक बार अंडर- 22 में उन्होंने परफॉर्म किया और अगले दिन वह रणजी टीम में थे।

गौतम गंभीर और सहवाग का उदाहरण देखिए। गौतम को सीधे रास्ते से क्रिकेट में एंट्री मिल गई। उन्हें सीधे नैशनल क्रिकेट अकैडमी , बेंगलूर के लिए चुना गया था। तब उनकी उम्र 19 साल थी। अकैडमी का वह पहला ही बैच था। दूसरी तरफ सहवाग को लंबे रास्ते से आना पड़ा। उन्होंने पहले घरेलू क्रिकेट खेला। 20 साल की उम्र में वह दिल्ली की रणजी टीम में चुने गए। फिर उनका सिलेक्शन दिलीप ट्रॉफी के लिए नॉर्थ जोन की टीम में हुआ। मजे की बात देखिए , लंबे रास्ते से आने के बावजूद सहवाग 21 साल की उम्र में नैशनल टीम में चुन लिए गए , जबकि गंभीर चुने गए 22 साल की उम्र में।

विराट कोहली का रास्ता एक दूसरे मोड़ से होता हुआ नैशनल टीम तक पहुंचा। वह अंडर- 19 नैशनल क्रिकेट टीम में चुने गए थे। वह उस टीम के कैप्टन बने। अंडर- 19 वर्ल्ड कप जीतकर लाए और आ गए नैशनल सिलेक्टरों की नजरों में। इस तरह उन्होंने 20 साल की उम्र में ही अपना पहला इंटरनैशनल वनडे मैच खेल लिया।

जाहिर है , किसी मोड़ पर घबराने , हताश होने या रुकने की जरूरत नहीं है। बस चलते जाना है , खेलते जाना है , परफॉर्म करते जाना है। क्योंकि अब क्रिकेट में मंजिलों की कमी नहीं है। और फिर आईपीएल तो एक खूबसूरत मंजिल है ही। इसमें काम है , पैसा है , शोहरत है... और सबसे बड़ी बात , इसमें नैशनल टीम का रास्ता भी है।

लड़कियों के लिए खुलते रास्ते
देश की महिला क्रिकेट टीम को ज्यादा मीडिया कवरेज भले न मिलती हो लेकिन इंडिया की महिला टीम खामोशी के साथ लगातार अच्छा परफॉर्म करने की कोशिश में लगी रहती है। बीसीसीआई के महिला क्रिकेट को भी अपने साम्राज्य में समेट लेने के बाद स्थिति में काफी सुधार आया है। अंजुम चोपड़ा , मिताली राज , डायना एडुलजी , हेमा शर्मा , रुमाली धर और झूलन गोस्वामी कुछ बड़े नाम हैं। इस वक्त मिताली राज आईसीसी की वन डे बैटिंग रैंकिंग में पहले नंबर पर और झूलन गोस्वामी बोलिंग रैंकिंग में पहले नंबर पर हैं।

दिल्ली में लगभग सभी अकैडमी लड़कियों को भी कोचिंग देती हैं। कुछ स्कूल और कॉलेजों में भी लड़कियों की अपनी टीम हैं। यहीं से उनके लिए प्रफेशनल क्रिकेट का रास्ता खुलता है। रास्ता करीब-करीब वही है , जिससे होकर लड़कों को गुजरना होता है , यानी जूनियर और सीनियर लेवल पर स्टेट के टूर्नामेंट्स खेलें , परफॉर्म करें और सिलेक्टर्स की नजरों में आएं। लड़कियों के लिए अभी बहुत अच्छे मौके हैं , क्योंकि महिला क्रिकेट में अभी ज्यादा कॉम्पिटिशन नहीं है।

रणजी की राहःशंकर सिंह


भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) सीनियर लेवल पर तीन इंटरस्टेट टूर्नामेंट कराता है , जिसमें रणजी ट्रॉफी प्रीमियर टूर्नामेंट है। इसे फर्स्ट क्लास क्रिकेट का स्टेटस हासिल है। वनडे क्रिकेट के लिए विजय हजारे ट्रॉफी है , जबकि टी-ट्वेंटी के लिए सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी आयोजित की जाती है।

बीसीसीआई के तीनों टूर्नामेंट के लिए टीम का सिलेक्शन करने के लिए डीडीसीए का चार सदस्यीय पैनल है। इसमें एक चेयरमैन और तीन मेंबर हैं। सिलेक्शन मीटिंग में कप्तान और कोच की राय को भी अहमियत दी जाती हैं , जबकि सिलेक्शन के तरीके पर स्पोर्ट्स सेक्रेटरी बतौर कनवीनर नजर रखते हैं। इसके लिए डीडीसीए का एक क्राइटेरिया है , जिसके तहत हर डिविजन में बैट्समैन के लिए रन , बॉलर के लिए विकेट और ऑलराउंडर के लिए रन और विकेट की एक निश्चित संख्या तय है। क्राइटेरिया पूरा करने वालों को ट्रायल के लिए बुलाया जाता है।

अंडर-19 और अंडर-22 इंटरस्टेट टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले युवा खिलाडि़यों को सिलेक्शन में तरजीह मिलती है। लीग के आधार पर रणजी संभावितों में शामिल होने के बाद 20 वर्षीय पेसर पवन सुयाल और 16 वर्षीय लेफ्ट स्पिनर विकास मिश्रा दिल्ली रणजी टीम में जगह बनाने में सफल रहे। अंडर-19 में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले 16 साल के ओपनर उन्मुक्त चंद , जबकि डीडीसीए लीग और लोकल टूर्नामेंट में ऑलराउंड प्रदर्शन के दम पर 29 वर्षीय जोगिंदर सिंह को विजय हजारे और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी की टीम में जगह मिली।

टीम इंडिया में दस्तक देने के लिए हर क्रिकेटर को इन्हीं टूर्नामेंट में खुद को साबित करना होता है। हालांकि अंडर-19 र्वल्ड कप भी अब टीम इंडिया में दस्तक देने का दरवाजा बन गया है।

बहरहाल , अब बीसीसीआई घरेलू सीनियर टूर्नामेंट में एक दिन खेलने के करीब 35,000 रुपये देती है। ऐसे में अगर आप इंटरनैशनल लेवल पर नहीं भी खेल पाते हैं , तो भी पूरा सीजन खेलकर करीब सात-आठ लाख रुपये कमा सकते हैं। यदि टीम चैंपियन बनती है , तो फिर इनामी राशि भी मिलती है। यही नहीं , अगर आप आईपीएल फ्रेंचाइजी को प्रभावित कर गए , तो फिर कम-से-कम एक साल का आठ लाख रुपये का कॉन्टैक्ट भी हो सकता है।

क्रिकेट खेलें पर स्टडी की कीमत पर नहीं
क्रिकेट को करियर के तौर पर लेने के ट्रेंड ने हाल-फिलहाल कुछ ज्यादा जोर पकड़ा है , लेकिन क्रिकेट खेलने और स्टडी व करियर के बीच बैंलेंस बनाना बेहद जरूरी है। बैलेंस बनाने से दोनों काम आसानी से हो सकते हैं।

क्रिकेट सिखाने वाले कोचों में से ज्यादातर का मानना है कि क्रिकेट को करियर के तौर पर लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इस फील्ड में जितने लोग किस्मत आजमाते हैं , उनमें से बहुत कम लोग कामयाब हो पाते हैं। इस हिसाब से सफल लोगों की संख्या काफी कम है।

कोच संजय भारद्वाज कहते हैं कि हमारे पास जो भी बच्चे आते हैं , हम उन्हें यही समझाते हैं कि क्रिकेट खेलो लेकिन अपनी पढ़ाई को भी साथ-साथ जारी रखो। अगर क्रिकेट में कामयाबी नहीं मिलती तो कम-से-कम पढ़ाई के दम पर नौकरी तो की जा सकती है। साउथ के क्रिकेटर्स क्रिकेट के साथ करियर को भी बराबर महत्व देते हैं , लेकिन उत्तर भारत में एजुकेशन को लेकर लोग ज्यादा गंभीर नहीं हैं।
भारत की टेस्ट और वन डे टीम के मेंबर रह चुके विजय यादव कहते हैं कि खेल के साथ स्टडी को जारी रखना बहुत जरूरी है। क्रिकेट या कोई भी खेल खेलने के लिए इंटेलिजेंस बहुत जरूरी है और पढ़ाई छोड़ देने से इंटेलिजेंस डिवेलप नहीं हो पाती। नैशनल क्रिकेट टीम में एक टाइम पर सिर्फ 11 खिलाड़ी खेल सकते हैं इसलिए यहां कॉम्पिटीशन बेहद टफ है। जाहिर है एक दूसरा ऑप्शन लेकर चलना हमेशा सही होता है।

क्रिकेट में सफल होने के लिए किस्मत के अलावा कई दूसरी चीजें भी मायने रखती हैं। पूर्व क्रिकेटर मदनलाल के मुताबिक , क्रिकेटर बनने के लिए गॉड-गिफ्टेड टैलंट का होना भी बहुत जरूरी है। अगर हर किसी में क्रिकेट का बराबर टैलंट होता तो फिर अब तक एक ही सचिन तेंडुलकर क्यों है ?

पैरंट्स को चाहिए कि बच्चों पर जबर्दस्ती क्रिकेट खेलने के लिए दबाव न बनाएं और यह जरूर ध्यान रखें कि उनकी पढ़ाई पर खराब असर न पड़े। उधर वीरेंद्र सहवाग के कोच ए.एन.शर्मा कहते हैं कि मां-बाप को पहले किसी अच्छे कोच से यह राय लेनी चाहिए कि बच्चे में कितना नैचरल टैलंट है। अगर कोच की राय में बच्चे में क्रिकेट खेलने के लिए ज्यादा नैचरल टैलंट नहीं है तो उस पर जबर्दस्ती खेलने के लिए दबाव न बनाएं।

जाहिर है , क्रिकेट को करियर के तौर पर लेने का सपना पालनेवाले बच्चों और उनके मां-बाप दोनों को ही पढ़ाई व करियर को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर क्रिकेट में अच्छा नहीं कर पा रहे हैं तो किसी दूसरे करियर में भी हाथ आजमाया जा सकता है।

इनमें भी बना सकते हैं करियर
क्रिकेट का मतलब सिर्फ क्रिकेटर होना ही नहीं है। खिलाड़ी के अलावा भी इस फील्ड में तमाम ऑप्शंस हैं:

कॉमेंटेटर : कमेंटेटर बनने के लिए जरूरी नहीं कि आप अच्छे खिलाड़ी हों। आपको क्रिकेट के बारे में जानकारी होनी चाहिए और कम्युनिकेशन स्किल्स काफी अच्छे होने चाहिए।

अंपायर : यह बहुत जिम्मेदारी भरा काम है। अंपायर बनने के लिए सबसे जरूरी योग्यता क्रिकेट की जानकारी होना है। इसके लिए बीसीसीआई स्टेट लेवल पर टेस्ट का आयोजन करती है।

स्कोरर : मैच की एक-एक बॉल का हिसाब रखना होता है इनकी जिम्मेदारी।

स्टैटिस्टीशियन : क्रिकेट से जुड़ा हर आंकड़ा रहता है इनके पास। मीडिया समेत हर किसी को जरूरत पड़ने पर आंकड़े उपलब्ध कराते हैं।

ग्राउंड मैन : किसी भी मैच में पिच सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। मैच के लिए सही पिच बनाने की जिम्मेदारी ग्राउंडमैन की होती है। यह काफी टेक्निकल काम होता है।
स्पोर्ट्स मार्केटिंग : यह कॉन्सेप्ट खासतौर पर आईपीएल के बाद आया है। क्रिकेट में रुचि और मार्केटिंग की डिग्री होनी चाहिए।

प्लेयर एंडोर्समेंट मैनेजर : इसमें आप खिलाडि़यों और उन कंपनियों के बीच ब्रिज का काम करते हैं जो उन्हें अपने प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए साइन करना चाहती हैं।
स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट : अगर आपकी खेल में रुचि है और आप खुद भी खिलाड़ी हैं तो एक अच्छे स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट भी बन सकते हैं।

कोच : एक अच्छा खिलाड़ी भले ही खुद ज्यादा सफल न हो पाए लेकिन अपने अनुभवों का फायदा उठाकर एक अच्छा कोच तो बन ही सकता है। आपके पास हैं तीन ऑप्शंस

क्रिकेट खेलने वाला हर बच्चा सचिन तेंडुलकर बनना चाहता है , लेकिन सचिन बनना तो दूर , इंटरनैशनल लेवल तक भी गिनती के ही लोग पहुंच पाते हैं। तो क्या इस फील्ड में आया ही न जाए ? नहीं , ऐसा नहीं है। नीचे दी गई कैटिगिरी के आधार पर आप अपना आकलन करें और फिर इस फील्ड में आएं :
शौक के लिए
इस कैटिगरी में वे लोग आते हैं जो सिर्फ शौकिया तौर पर क्रिकेट खेलना चाहते हैं। क्रिकेट में करियर बनाना इनका मकसद नहीं होता। अगर ऐसा है तो भी आप कोचिंग लेकर कुछ गंभीर और प्रफेशनल क्रिकेट खेल सकते हैं। हो सकता है आपके अंदर टैलंट हो और वह सामने आ जाए। अगर ऐसा होता है तो आगे करियर बनाने के बारे में भी सोचा जा सकता है।
जॉब के लिए
हर किसी के लिए यह मुमकिन नहीं कि नैशनल टीम में जगह बनाई जा सके। यहां तक कि आईपीएल या रणजी तक पहुंचना भी काफी मुश्किल है। अगर आपको लगता है कि आप नैशनल लेवल के खिलाड़ी नहीं बन सकते तो आपको कम-से-कम ऐसे लेवल तक क्रिकेट खेलना चाहिए कि आपके खेल के दम पर आपको किसी कंपनी या किसी सरकारी विभाग में नौकरी मिल जाए। आजकल हर बड़ी कंपनी अपने यहां स्पोर्ट्स कोटा रखती है।

क्रिकेट के लिए
जब आप क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं तो कुछ समय बाद ही आपको पता चल जाता है कि आप में कहां तक पहुंचने की क्षमता है। आपके कोच भी आपको यह बता सकते हैं। अगर आपमें नैशनल लेवल का खिलाड़ी बनने की क्षमता है और कोच भी यही कह रहे हैं तो फिर बस जुट जाइए पूरी जी-जान से। धीरे-धीरे पड़ाव पार करके आप क्रिकेट को करियर के तौर पर अपना सकते हैं।
एक नजर क्रिकेट की पाठशालाओं पर
कोच : संजय भारद्वाज
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : 20 साल।
अकैडमी / क्लब : भारत नगर क्रिकेट कोचिंग सेंटर , एल . बी . शास्त्री क्रिकेट क्लब
पता : लक्ष्मीबाई कॉलेज के पास , अशोक विहार फेज -3
फोन : 99909-01166
ऐडमिशन का तरीका : 11-14 साल की उम्र के बच्चों को ही ऐडमिशन दिया जाता है। हर साल 20 से 30 बच्चों को ट्रायल के बाद लिया जाता है। सरकारी स्कूल के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है।

ट्रेनिंग : हफ्ते में तीन दिन ट्रेनिंग सेशन चलता है। एकेडमी का अपना जिम है , जिसमें बच्चों को फिजिकली फिट बनाया जाता है। इसके अलावा यहां स्विमिंग पूल की भी सुविधा है। यह एकेडमी देश की ऐसी चुनिंदा एकेडमियों में से है , जहां फ्लड लाइट की सुविधा है।

फीस : कोई फीस नहीं

स्टार प्लेयर्स : गौतम गंभीर , अमित मिश्रा

कोच : तारक सिन्हा
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : 40 साल
अकैडमी / क्लब : सोनेट क्रिकेट अकैडमी , सोनेट क्रिकेट क्लब
पता : वेंकटश्वरा कॉलेज ग्राउंड , बेनेटो जुआरेज मार्ग , धौला कुआं के पास
फोन : 98101-39642

ऐडमिशन का तरीका : 10-18 साल तक के बच्चों को ऐडमिशन दिया जाता है। ऐडमिशन के वक्त ट्रायल होता है।

ट्रेनिंग : मेन कोच तारक सिन्हा के अलावा यहां 12 दूसरे कोच भी हैं। यहां आने वाले बच्चों को टैलंट के आधार पर अलग - अलग बैचों में बांटकर ट्रेनिंग दी जाती है। एक कोच अधिकतम 20 बच्चों को ट्रेनिंग देता है। वीक डेज में दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक ट्रेनिंग होती है। अच्छा परफॉर्म कर रहे बच्चों को वीकेंड पर स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है।

फीस : 500 रुपए महीना

स्टार प्लेयर्स : मनोज प्रभाकर , अजय शर्मा , आशीष नेहरा , आकाश चोपड़ा , शिखर धवन

कोच : सुरेंद्र खन्ना
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : शारजाह खेल चुके हैं। 20 साल से कोचिंग दे रहे हैं।
अकैडमी / क्लब : सुरेंद खन्ना क्रिकेट अकैडमी
पता : डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स , पीतमपुरा
फोन : 98111-12644, 98188-23590

ऐडमिशन का तरीका : 8 से 16 साल तक के बच्चों को लिया जाता है। अगर बच्चा पहले से थोड़ा - बहुत क्रिकेट खेला है तो अच्छा है। लेकिन अगर किसी के अंदर क्रिकेट का टैलंट दिखता है , तो भी उसे यहां ऐडमिशन मिल जाता है।

ट्रेनिंग : यहां बच्चों को अलग - अलग ग्रुप्स में डिवाइड करके ट्रेनिंग दी जाती है। मेन कोच के अलावा दो और कोच शेखर और उदय प्रकाश बच्चों को गाइड करते हैं। रविवार और सोमवार छोड़कर बाकी दिनों में दोपहर 3 बजे से अंधेरा होने तक प्रैक्टिस कराई जाती है। यहां फिजिकल फिटनेस के साथ - साथ मेंटल टफनेस पर भी ध्यान दिया जाता है।

फीस : हफ्ते में तीन दिन आनेवालों के लिए 700 रुपये महीना और पांच दिन आने वालों के लिए 900 रुपये महीना

स्टार प्लेयर्स : चंदर थापा , हेमंत सिंह ( दिल्ली की अंडर 19 टीम से खेल चुके हैं। )

कोच : मदनलाल
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : 1983 की वर्ल्ड कप विनर टीम के मेंबर रह चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से क्रिकेट कोचिंग के कोर्स किए हैं। 1997 में यूएई की टीम को वर्ल्ड कप क्वॉलिफाई कराया था। 1996-97 के दौरान इंडियन टीम के भी कोच रहे।

अकैडमी / क्लब : मदनलाल क्रिकेट अकैडमी
पता : सीरी फोर्ट स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स
फोन : 98111-92962

ऐडमिशन का तरीका : यहां 9 से 16 साल तक के बच्चों को लिया जाता है। ऐडमिशन के टाइम पर कोच यह देखते हैं कि बच्चे में नैचरल टैलंट कितना है।
ट्रेनिंग : मेन कोच के अलावा चार और कोच हैं जो गुरुवार से रविवार तक दोपहर 3 बजे से शाम 6:30 बजे तक ट्रेनिंग देते हैं। अच्छा परफॉर्म करनेवाले बच्चों को अलग से प्रफेशनल ट्रेनिंग दी जाती है।

फीस : 3000 रुपये ऐडमिशन फीस है और इसके बाद 1500 रुपये महीना।

स्टार प्लेयर्स : शैली श्रीवास्तव ( अंडर 16 दिल्ली )

कोच : गुरशरण सिंह
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : करीब 16 साल से क्रिकेट कोचिंग दे रहे हैं। बीसीसीआई से कोचिंग का लेवल ए और बी का कोर्स कर चुके हैं। पंजाब , असम और दिल्ली अंडर 17 टीमों को कोचिंग दे चुके हैं।
अकैडमी / क्लब : 1. ज्ञान भारती साउथ दिल्ली क्रिकेट अकैडमी , ज्ञान भारती स्कूल , साकेत
2. वेंकटेश्वर गुरशरण क्रिकेट एकेडमी , वेंकटेश्वर इंटरनैशनल स्कूल , द्वारका सेक्टर -10
फोन : 98110-04516

ऐडमिशन का तरीका : 6 से 18 साल तक के बच्चों को लिया जाता है। 18 साल से ऊपर वालों का ट्रायल के आधार पर ऐडमिशन। जरूरतमंद और टैलंटेड बच्चों को अकैडमी के ट्रस्ट की तरफ से फ्री ट्रेनिंग और दूसरी मदद दी जाती है।

ट्रेनिंग : ज्ञान भारती अकैडमी में सोमवार से शुक्रवार शाम 4 बजे से 7 बजे तक ट्रेनिंग दी जाती है। यहां फ्लड लाइट्स की भी व्यवस्था है। वेंकटेश्वर एकेडमी में गुरुवार से शनिवार और मंगलवार को शाम 4 बजे से 7 बजे तक ट्रेनिंग होती है।

फीस : ज्ञान भारती में 1500 रुपये ऐडमिशन फीस और 1000 से 1200 रुपये महीना , वेंकटेश्वर अकैडमी में 1000 रुपये ऐडमिशन फीस और 800 रुपये महीना

स्टार प्लेयर्स : अंकुर जुल्का ( दिल्ली के लिए रणजी खेल चुके हैं ), मानव शर्मा , अबीर लवासा और प्रतीक पवार ( हरियाणा के लिए रणजी खेल चुके हैं। )

कोच : ए . एन . शर्मा
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : क्रिकेट कोचिंग देने का लंबा अनुभव।
अकैडमी / क्लब : विकासपुरी क्रिकेट कोचिंग सेंटर
पता : जी - ब्लॉक , विकासपुरी
फोन : 98182-70507

ऐडमिशन का तरीका : इस अकैडमी में 8 से 14 साल तक के बच्चों को ऐडमिशन दिया जाता है। इससे ज्यादा उम्र के बच्चों का ट्रायल लेने के बाद उन्हें भी ऐडमिशन दे दिया जाता है।

ट्रेनिंग : जब स्कूल खुले होते हैं , तो हफ्ते में तीन दिन शाम के वक्त तीन घंटे की ट्रेनिंग होती है। छुट्टियों में 5 से 6 घंटे की ट्रेनिंग होती है। थोड़ा एक्सपीरियंस होने पर चुने हुए खिलाड़ियों को हफ्ते में छह दिन 5-6 घंटे की ट्रेनिंग दी जाती है। टर्फ और बोलिंग मशीन जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।

फीस : यहां खेलने वाले बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती। आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन टैलंटेड बच्चों को फ्री किट जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं।

स्टार प्लेयर्स : वीरेंद्र सहवाग और प्रदीप सांगवान के अलावा स्टेट लेवल के कई खिलाड़ी यहां से निकल चुके हैं।

कोच : श्रवण कुमार
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : क्रिकेट कोचिंग देने का काफी अच्छा अनुभव है। सोनेट क्लब से भी जुड़े रहे हैं।
अकैडमी / क्लब : जिमखाना क्रिकेट क्लब , रोहतक रोड
पता : रामजस स्पोर्ट्स एंड माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट , वेस्ट पटेल नगर
फोन : 9818018534
ऐडमिशन का तरीका : आठ से सोलह साल तक के बच्चों को ऐडमिशन दिया जाता है। इससे ज्यादा उम्र वालों को ट्रायल के आधार पर ऐडमिशन दिया जाता है।

ट्रेनिंग : गुरुवार से रविवार तक दोपहर 2 बजे से शाम को सूरज डूबने तक ट्रेनिंग चलती है।

फीस : 800 रुपये महीना

स्टार प्लेयर्स : इशांत शर्मा , राहुल यादव ( दिल्ली रणजी टीम में खेल रहे हैं। )

कोच : मनीष गिरि
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : मनीष पांच साल से क्रिकेट कोचिंग दे रहे हैं। वह खुद भी रणजी प्लेयर रह चुके हैं।
अकैडमी / क्लब : टी . पी . जी . अकैडमी
पता : सेंट जोजफ स्कूल , पॉकेट डी , अल्फा 1, ग्रेटर नोएडा
फोन : 98717-29967
ऐडमिशन का तरीका : 6 से 16 साल तक के बच्चों को ऐडमिशन दिया जाता है। छोटे बच्चों को सीधे ऐडमिशन मिल जाता है लेकिन 10 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को ट्रायल के आधार पर ऐडमिशन मिलता है।
ट्रेनिंग : हफ्ते में चार दिन दोपहर 2 बजे से देर शाम तक ट्रेनिंग चलती है। क्रिकेट के लिए कंसंट्रेशन बहुत जरूरी है इसलिए यहां क्रिकेट ट्रेनिंग के अलावा योग और मेडिटेशन भी कराया जाता है।

फीस : 1000 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस और 750 रुपये महीना >

स्टार प्लेयर्स : अनुराग त्यागी ( दिल्ली की अंडर 22 टीम में )

कोच : विजय यादव
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : 1996 से क्रिकेट कोचिंग दे रहे हैं। भारत की टेस्ट और वन डे टीम में खेल चुके हैं। एनसीए से लेवल -1, 2 और 3 का कोर्स कर चुके हैं। बीसीसीआई की तरफ से विकेट कीपिंग एकेडमी का कोच नियुक्त किया गया है।
अकैडमी / क्लब : विजय यादव क्रिकेट अकैडमी
पता : डॉ . कर्मवीर पब्लिक स्कूल , सेक्टर -11, फरीदाबाद
फोन : 98117-79201, 93129-72012

ऐडमिशन प्रोसेस : 7 से 14 साल तक के बच्चों को ऐडमिशन दिया जाता है। इससे ज्यादा उम्र वालों का ट्रायल लिया जाता है।

ट्रेनिंग : हफ्ते में 6 दिन ट्रेनिंग दी जाती है। दोपहर 3 बजे से शाम के 6-6:30 बजे तक कोचिंग दी जाती है।

फीस : ऐडमिशन फीस 1500 रुपये है। बिगनर्स से 700 रुपये महीना , 12-14 साल वालों से 800 रुपये महीना और सीनियर्स से 1000 रुपये महीना फीस ली जाती है।

स्टार प्लेयर्स : महेश रावत ( आईपीएल खेल चुके हैं ), राहुल तेवतिया और अमरेश चौधरी ( हरियाणा टीम में खेले हैं )

कोच : अतुल शर्मा
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : करीब चार साल से एनसीआऱ में क्रिकेट कोचिंग दे रहे हैं। रणजी प्लेयर रह चुके हैं। भारत की अंडर 19 टीम में पाकिस्तान के खिलाफ खेल चुके हैं।
अकैडमी / क्लब : वसुंधरा क्रिकेट अकैडमी
पता : पी . एन . एन . मोहन पब्लिक स्कूल
फोन : 93502-22871

ऐडमिशन का तरीका : 6 से 17 साल तक के बच्चों को ऐडमिशन दिया जाता है।

ट्रेनिंग : हफ्ते में 7 दिन ट्रेनिंग होती है। दो दिन फिटनेस , दो दिन सिर्फ फील्डिंग और तीन दिन नेट प्रैक्टिस होती है। शाम 4 बजे से अंधेरा होने तक ट्रेनिंग चलती है।

फीस : एडमिशन फीस 1000 रुपये और 500 रुपये महीना

स्टार प्लेयर्स : जुनैद जंग और उदित वत्स ( यूपी की अंडर 19 टीम में खेल चुके हैं )

कोच : राजकुमार शर्मा
एक्सपीरियंस / प्रोफाइल : दिल्ली रणजी टीम के सदस्य रह चुके हैं। कोचिंग का लंबा अनुभव है।
अकैडमी / क्लब : वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकैडमी
पता : 1. सेंट सोफिया स्कूल , पश्चिम विहार , 2. डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स , हरिनगर , 3. डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स , द्वारका
फोन : 98102-71666

ऐडमिशन का तरीका : कम - से - कम 8 साल की उम्र वालों को ऐडमिशन मिलता है।

ट्रेनिंग : हफ्ते में चार दिन ट्रेनिंग होती है। गुरुवार , शुक्रवार और शनिवार को दोपहर 3:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक। रविवार को सुबह 6:30 बजे से 10 बजे तक। हर 25 बच्चों पर एक कोच रहता है।

फीस : 600 से 700 रुपये महीना फीस

स्टार प्लेयर : विराट कोहली

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