* * * पटना के पैरा-मेडिकल संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च जयपुर कें निम्स यूनिवर्सिटी द्वारा अधिकृत कएल गेल। *

Monday, 30 November 2009

कुलपति नियुक्ति मामलाः रिवाइज्ड पैनल के रिवीजन


30 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

Saturday, 28 November 2009

शिक्षकेतर कर्मचारियो आब राज्य सरकार सं नियुक्त हेताह


27 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

Thursday, 26 November 2009

माइक्रोसॉफ्ट आनि रहल अछि नबका भाषा सॉफ्टवेयर


26 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

एस एम एस सं बूझू स्पीडपोस्टक स्थिति


16 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

Tuesday, 24 November 2009

बिहार में सूचना अधिकारक लेल आने सूचना माध्यमक सहारा


23 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,मुजफ्फरपुर संस्करण में यथाप्रकाशित

Monday, 23 November 2009

फुल एंड फाइनलःमोतिहारिए में बनत केंद्रीय विश्वविद्यालय


21 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

सूचना अधिकारक फीस पर बकवास जारी

देश भरि में इएह हिसाब चलि रहल छैक जे दसे टाका में आरटीआई फाइल कएल जाइत छैक। मुदा किछु दिन पहिने,चमचालोकनि बिहार राज्य सरकार के गुमराह करबा में सफल भ गेलाह। दलील देलखिन्ह जे एकहि टा आवेदन में मारिते प्रश्न रहैत छैक,तें जवाब निर्धारित समय-सीमा में देब मोसकिल भ रहल अछि। राज्यो सरकार सहमत भ गेल जे नवरत्न लोकनि ठीके कहि रहल छथि। मुदा जकरा बूझल छैक जे काज केना होइत छैक,से एहि सहमति पर हंसिए टा सकैत छथि। किएक तं,आवेदन में पूछल गेल प्रश्न जं एक सं बेसी विभाग सं संबद्ध रहैत छैक,तं तत्काल सभहक फोटोकॉपी संबंधित विभाग के भेज देल जाइत छैक आ निर्धारित समय में जवाब देबा लेल निर्देश देल जाइत छैक। फेर सब विभागक जवाब समेकित कए आवेदनकर्ता के पठाओल जाइत छैक। मानि लिअ,केओ एक आवेदन में दस टा प्रश्न पूछबाक बजाए दस टा आवेदन एकहि दिन दायर क दिअए जे अलग-अलग विभाग सं संबंधित हुअए,तखन विभाग केना जवाब देतैक?स्पष्ट छैक जे दसटकिया आमदनी पर ध्यान केंद्रित नहिं कए नीतीश सरकार उद्योग-धंधा लगएबा पर ध्यान लगाबैथ। ओहि सं राज्यक कल्याण हेतैक। एहि बढल फीस पर बिहार में जारी हंगामा पर ई ताजा रिपोर्ट पढ़ूः




21 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

कुलपति नियुक्ति मामलाः सर्च कमेटी के सर्च जारी


21 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

मगध विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा केर विस्तार


22 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

फेर खुलल खुदाबख्श लाइब्रेरी। स्वागत करू !


23 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

Friday, 20 November 2009

मैथिली अकादमी के ल कए फेर गप्पबाजी शुरू




15 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

मैथिली अकादमीः छुक-छुक रेल

मैथिली विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। मैथिली की एक अपनी लिपि भी हुआ करती थी। यह वैज्ञानिक सत्य है कि जो भी भाषा खास समुदाय और खास अनुशासन तथा कर्मकांड में बंधती है, धीर-धीर उसका क्षरण भी होता है और अंतत: वह भाषा विलुप्त हो जाती है। भारत की प्राचीनतम भाषा संस्कृत इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।ड्ढr ड्ढr मैथिली बिहार प्रांत के बड़े भूभाग में बोली जाने वाली ‘भाषा’ है। इसका साहित्य प्राचीनकाल में विपुल मात्रा में लिखा गया और उसे क्लासिकी का दर्जा भी मिला। लेकिन धीर-धीर मैथिली भाषा संकुचित होती चली गयी। मैथिली भाषा और साहित्य के विकास और इसके गौरवमयी सांस्कृतिक परम्परा के पोषण और संरक्षण के लिए 11 मार्च 1ो राज्य में मैथिली अकादमी की स्थापना हुई। हम कहते रहे हैं कि कोई भी भाषा और साहित्य मात्र सरकारी संरक्षण से समृद्ध नहीं हो सकती। जिस तरह सरकारी प्रयासों के बावजूद हिन्दी आज तक राजभाषा नहीं बन सकी, उसी तरह बिहार की विभिन्न अकादमियां सरकारी संरक्षण, प्रकारांतर से सरकारी हस्तक्षेप से इन भाषाओं को विकसित करने की बजाय क्षतिग्रस्त ही करती रहीं। कोई भी भाषा लोक सम्पर्क और जनता के श्रम से उपजी शक्ित का प्रस्फुटन होती है। और तो और बदली हुई परिस्थितियों में बाजार ही भाषा और साहित्य को नियंत्रित करता है।ड्ढr ड्ढr मैथिली भाषा और साहित्य के अस्तित्व की रक्षा के लिए एक लम्बा संघर्ष हुआ है। मैथिली भाषा के जिस स्वरूप की रक्षा के लिए यह संघर्ष हुआ वह एक बंधे-बंधाए दायर का है। जिसमें मैथिली क्षेत्र के बड़े भूभाग के आम लोगों की सहभागिता नगण्य है। वर्तमान परिदृश्य में मैथिली अकादमी की गतिविधियों पर नजर दौड़ाइए। शोध-समीक्षा और भाषा सव्रेक्षण की जगह यहां से छपने वाले उपन्यास और कथा संग्रहों की लम्बी फेहरिश्त मिल जाएगी। निबंध-प्रबंध-आलोचना-इतिहास और आत्मकथा के अतिरिक्त यहां से एकांकी नाटक और यात्रा वृतांत का प्रकाशन हुआ है। लेखकों की सूची पर ध्यान दीजिए-ब्राह्मणेतर लेखकों के नाम ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेंगे। विडम्बना है कि मैथिली भाषा और साहित्य के मठाधीश मैथिली को क्लासिक रूप में सिर्फ दरभंगा और मधुबनी में बोली जाने वाली मैथिली को ही स्वीकारते हैं। उसमें भी मैथिली ब्राह्मण और कर्णकायस्थों के बीच की मैथिली। दरभंगा, मधुबनी के अतिरिक्त मैथिली के विविध रूपों का विस्तृत क्षेत्र है। सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, समस्तीपुर, अररिया, सीतामढ़ी, नेपाल का तराई क्षेत्र और बेगूसराय में दैनिक जीवन, व्यापार और व्यवहार की भाषा मैथिली है। इन क्षेत्रों में मैथिली की अलग-अलग रूप छवियां हैं। सभी जाति और समुदाय के लोग इसी भाषा में कार्यव्यापार करते हैं और स्थानीय स्तर पर यह बाजार की भाषा भी है। लेकिन मैथिली के कर्णधार और मठाधीश इन विस्तृत क्षेत्रों में बोली जाने वाली मैथिली को ‘सोलकनों’ की भाषा की संज्ञा देते हैं। प्रकारांतर से हिकारत भरी नजर से इसे देखते हैं। इसका बुरा असर मैथिली के भविष्य पर पड़ा है। इस पूर भूभाग में मैथिली के तथाकथित ‘सभ्य रूप’ और ‘सभ्य साहित्य’ को अपना रूप और अपना साहित्य नहीं समझते। इतने बड़े भूभाग से अलग होकर कोई भी भाषा कैसे समृद्ध होगी। प्रस्तावना में ही यह निवेदन था कि किसी भी भाषा और लिपि का यह व्यवहार उसे संकुचित और विलुप्त करता है।ड्ढr ड्ढr मैथिली क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण रचनाकार हैं जो ब्राह्मणेतर जातियों के हैं लेकिन उनकी सुध न तो मैथिली अकादमी ले रहा है और न ही दिल्ली स्थित साहित्य अकादमी। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत होने वाले लेखकों की सूची आप उलटिए, तिकड़म और जुगाड़ में विश्वास रखनेवाले दिल्ली में बैठे मैथिली के भाग्य विधाता ऐसे लेखकों (कुछ को छोड़कर) के बीच पुरस्कारों का बंदरबांट करते हैं जिनका इस भूभाग के जनजीवन और संस्कृति से कोई तादात्म्य नहीं। सिर्फ अष्टम् अनुसूची में शामिल हो जाने से किसी भी भाषा का राष्ट्रीय स्वरूप नहीं बनता। यह बनता है लोकजीवन और लोक व्यवहार की यथार्थ चेतना को संवेदनात्मक स्तर पर साहित्य के केन्द्र में स्थापित करने से। विद्यापति इसलिए बचे हैं क्योंकि वह लोककंठ में बसे हैं। इसमें ब्राह्मणेतर मैथिलों का अधिक योगदान है जो पराती गाते हैं और विदपतिया नाच करते हैं। अगर अकादमी और मैथिली के मठाधीश समय रहते नहीं चेतेंगे, दिखाने के नाम पर किसी दलित के निदेशक बना देने मात्र से यह भाषा विकसित और समृद्ध नहीं हो जाएगी। वर्तमान संदर्भ में तो बिहार की मैथिली अकादमी सिर्फ ‘झा-झा’ मेल है जो छुक-छुक चल रही है।

http://www.livehindustan.com/news/1/1/1-1-15697.html सं साभार

हिंदुस्तान केर नजरि में विद्यापति


13 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

पैसा देखि,लेक्चरर बनबाक शौक चढ़ल


20 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान में यथाप्रकाशित

वि.विः विवादित मामला लेल प्राधिकरण


19 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

कुलपति-प्रतिकुलपति नियुक्ति मामला


16 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

की सूचना नहिं देनिहार सचमुच हेताह बर्खास्त?


13 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

शिक्षा केर नींव मजबूत हुअए,तखने किछु संभव



12 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

Wednesday, 11 November 2009

मगही के संवैधानिक मान्यता देबाक मांग






















11 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित

विश्वविद्यालय केर स्वतंत्रताक जिन्न फेर बहरायल!



08 नवम्बर,2009 केर हिंदुस्तान,पटना में यथाप्रकाशित